राह क्यों नहीं दिखाई देती
अनगिनत बाधाएं आतीं
जब भी आगे आना चाहूँ
पीछे से क्यों रोक लेतीं
क्यों हैं बाधाओं का अम्बार
जिनकी नहीं रहती दरकार
क्यों हूँ वंचित खुशियों से
क्या यही लिखा है प्रारब्ध में
क्यों हैं दुनिया संकुचित
केवल मेरे लिए
क्यों बैर सभी रखते हैं मुझसे
कारण खोजना है कठिन
पर खोज अवश्य है जारी
कभी तो कारण मिलेगा
क्यों का भूत सर से उतरेगा |
आशा
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