ऐसी जिन्दगी का लाभ क्या
जो भार हुई स्वयं के लिए
हद यदि पार न की होती
भार जिन्दगी न होती |
औरों के लिए कुछ कर न सके
केवल स्वप्न बुनते रहे
यदि जीवन अपना सवारा होता
दूर हकीकत से न रहते |
यदि जीवन अपना सवारा होता
दूर हकीकत से न रहते |
दूर सत्य से सदा रहे
आज सत्य सामने है
छोटी बड़ी बातों के लिए
दूसरों पर आश्रित हुए |
आज हुए आश्रित दूसरों पर
शरीर साथ नहीं देता
आज हुए आश्रित दूसरों पर
शरीर साथ नहीं देता
खुद कुछ कर नहीं पाते
परजीवी हो कर रह गए |
आशा
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