26 सितंबर, 2016

तीनों पीढी एक साथ


कमरे में  तस्वीरों पर 
बहुत धूल थी
सोचा उनको साफ करूँ
नौकर से उन्हें उतरवाया 
टेबल पर रखवाया 
डस्तर ले झाड़ा बुहारा
करीने से लगाने को उठाया 
दादा दादी चाचा ताऊ 
हम और हमारे बच्चे
 आगे रखी तस्वीर में
 तीनों पीढी एक साथ देख
 आँखें खुशी से हुई नम
अद्भुद चमक चहरे पर आई
यही तो है मेरी
 सारे जीवन की कमाई
सभी साथ साथ हैं
भरा पूरा है धर मेरा
अलग अलग रहने की
कल्पना तक कभी
 मन में न आई
बरगद की छाँव में
 बगिया मेरी  हरी भरी
मेरे मन को बहुत भाई|

आशा


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