बहता जल
छोटा सा पुल उस पर
छाई हरियाली
चहु ओर
पुष्प खिले बहुरंगे
मन को रिझाएँ
उसे बांधना चाहें
लकड़ी का पुल
जोड़ता स्रोत के
दोनो किनारों को
हरीतिमा जोड़ती
मन से मन को
आसमा में स्याह बादल
हुआ शाम का धुंधलका
समा सूर्यास्त होने का
ऐसे प्यारे मौसम में
मन लिखने का होय |
आशा
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