थिरके मुरली की धुन पर
पर वह बात न देखी
जो थी माधव की मुरली में |
उस मधुर धुन पर नर्तन
राधा रानी के साथ में
मन मोह लिए जाती
जीवन में गति आ जाती |
पहले था पारद धातु सा जीवन
यहाँ वहां लुढ़कता था
स्थिर नहीं हो रह पाता था
पर अब कुछ परिवर्तन तो आया |
है यह कैसा स्वभाव उसका
चंचल उसे बना गया
चंचल उसे बना गया
मनमानी वह करता
स्थिर कभी न हो पाता |
मोहन को धेनु चराते देखा
काली कमली ओढ़ कर
गौ धूलि बेला में
उन्हें धुल धूसरित आते देखा |
अब वह बातें कहाँ रहीं
गाएं अकेले आती जाती हैं
खुद को असुरक्षित पाती हैं
मोहन की हांक बिना |
आशा
स्थिर कभी न हो पाता |
मोहन को धेनु चराते देखा
काली कमली ओढ़ कर
गौ धूलि बेला में
उन्हें धुल धूसरित आते देखा |
अब वह बातें कहाँ रहीं
गाएं अकेले आती जाती हैं
खुद को असुरक्षित पाती हैं
मोहन की हांक बिना |
आशा
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