चन्दा चमके आसमान में
नन्हां बेटा पकड़ना चाहे
चन्दा मामा हाथ में |
बहलाया कई लालच दिए
अन्दर बाहर ले कर गई
ध्यान बटाने की कोशिश में
जिद्द बेटे की बढ़ती गई |
हद तो तब हुई जब
डबडबाई आँखें उसकी
वह बिना चाँद के सोना न चाहे
रोने का हथियार चलाए |
मैंने बहुत विचार किया
अपना बचपन याद किया
एक बार मां ने जलभरी परात में
चन्दा मुझे दिखाया था |
जल्दी से परात लाई
जलभर कर आँगन में आई
जल में अक्स चन्दा मामा का
बेटे से पकड़वाना चाहा |
किये अथक प्रयास पर व्यर्थ रहे
वह थक गया और सो गया
सुबह तक वह भूल गया
किस बात के लिए जिद्द की थी |
न चाँद था न रात आँगन में
केवल पानी भरी परात थी
भोली भाली जिद्द ने उसकी
मेरा बचपन याद दिलाया
बीती यादों में पहुंचाया |
भोली भाली जिद्द ने उसकी
मेरा बचपन याद दिलाया
बीती यादों में पहुंचाया |
आशा
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