आई तीज हरियाली
अम्मा ने रंगा लहरिया
पहनी चूनर धानी-धानी
उसकी शान निराली
हाथों में मेंहदी लगा
महावर से पैर सजाये
पहने पायल बिछिये
छन-छन बजने वाले
आटे की गौर बना कर
पूरी पूए का भोग लगाया
आँगन में नीम तले
झूला झूल सावन के
गीत गाये
बड़े पुराने दिन
फिर याद आये
कुछ अंतरे याद रहे
कुछ विस्मृत हुए
यह सोच प्रसन्नता हुई
हमने रीति रिवाज़
को कायम रखा
इस परम्परा को
आने वाली पीढ़ी
कौन जाने
निभाये न निभाये !
चित्र - गूगल से साभार
आशा सक्सेना
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