हे नव वर्ष
तुम्हारा स्वागत मेरे दर पर
कबसे राह तुम्हारी जोह रही
बहुत स्नेह से आज को विदा किया है
अब आई तुम्हारे स्वागत की बारी
प्रथम करण आदित्य की
बैठी पलक पसारे
तुम्हारी बाट निहारे
ओस कणों से पैर पखारे
कोमल कोंपल वृक्ष वृन्द संग
पलक पांवड़े बिछाए
तन मन धन से करे स्वागत
तुम्हें विशेष बनाए
सारा साल खुशियों से भरा हो
भाईचारा आपस में रहे
यही मेरा मन कहे
सुख सम्पदा भरपूर रहे
पूरी श्रद्धा से सम्पूर्ण वर्ष
प्रसन्नता से भर जाए !
नव वर्ष की आप सभीको हार्दिक शुभकामनाएं !
आशा सक्सेना
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