हो तुम बाज़ीगर सपनों के
जिन्हें तुम बेचते हो तमाशा दिखा कर
मेरे पास है स्वप्नों का जखीरा
क्या खरीदोगे कुछ उनमें से ?
पर जैसे हों वही दिखाना
कोई काट छाँट नहीं करना !
हर स्वप्न अनूठा है अपने आप में
परिवर्तन मुझे रास नहीं आता !
नए किरदार नए विचारों को
संजोया है मैंने उनमें !
बंद आँखों से तो अक्सर
सपने देखे ही जाते हैं
कुछ याद रह जाते हैं
अधिकांश विस्मृत हो जाते हैं !
खुली आँखों से देखे गए सपनों की
बात है सबसे अलग !
होते हैं वे सत्यपरक
अनोखा अंदाज़ लिए ,
नवीन विचारों का सौरभ है उनमें !
ऊँची उड़ान उनकी अनंत में
बहुत रुचिकर है मुझे
तभी वे हैं अति प्रिय मुझे !
आशा सक्सेना
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