जब साँझ का धुँधलका हो 
मन कहीं खोया हुआ हो 
  सूचना होगी ऐसी 
मन में उदासी भर देगी 
पर हर वक्त का 
 नकारात्मक सोच 
जीवन का सुकून हर लेगा 
यदि दीप जलाने का मन ना हो 
  जान जाइए समय विपरीत हुआ है 
बेमन हो दीप जलाया भी 
कब तक बाती जलेगी 
धीमी लौ होते ही
 दीपक की पलकें झपकेंगी 
बंद आँखों में झाँक कर देखिये 
वहाँ कोई सपना सजा  है 
दीप बुझ भी गया तो क्या 
कहीं जीवन में रस भरा है 
यही अंदाज़ जीने का 
आशाओं पर टिका है 
जब तक साँस बाकी है 
आशा का दीपक जल रहा है 
दीप बुझ  गया तो  क्या 
मन में आस अभी ज़िंदा है |
आशा 
