तुमसे लगाया नेह अनूठा
अपना आपा खो बैठी
आकांक्षा मन में रही
अपना आपा खो बैठी
आकांक्षा मन में रही
कान्हां तुम मेरे हो
मुझ में हो बस मेरे ही रहो |
आतुर नयन तेरे दर्शन को
कर्ण मधुर ध्वनि सुनने को
दीपक जलाया ध्यान लगाया
कब मनोरथ पूर्ण हो |
आपसी तालमेल देखा आज हुए सम्मलेन में
छिपी हुई प्रतिभा दिखी छोटे बड़े हर वर्ग में
है यहाँ अपनापन भाईचारा ना कि कोई दिखावा
मन होने लगा अनंग इस पर्व में |
आँखें नम हो रही हैं यह सब तो होता ही रहता है
बहुत कीमती हैं ये आंसू जिन्हें बहाना है मना
ये बचाएं शहीदों के लिए उन पर ही लुटाना
कतरा कतरा अश्रुओं का है अनमोल खजाना |
खिडकी से भीतर झांकती
आपसी तालमेल देखा आज हुए सम्मलेन में
छिपी हुई प्रतिभा दिखी छोटे बड़े हर वर्ग में
है यहाँ अपनापन भाईचारा ना कि कोई दिखावा
मन होने लगा अनंग इस पर्व में |
आँखें नम हो रही हैं यह सब तो होता ही रहता है
बहुत कीमती हैं ये आंसू जिन्हें बहाना है मना
ये बचाएं शहीदों के लिए उन पर ही लुटाना
कतरा कतरा अश्रुओं का है अनमोल खजाना |
खिडकी से भीतर झांकती
यह मेरा नहीं है ना ही कभी होगा
यह कमरा है उसका उसी का रहेगा
आशा
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