प्रश्न हल कैसे हो ?
कल क्या थे आज क्या हैं आप ?
कभी सोचना आत्म विश्लेषण करना
सोचते सोचते आँखें कब बंद हो जाएंगी
कहाँ खो जाओगे जान न पाओगे
पहेलियों में उलझ कर रह जाओगे
इतने परिवर्तन कैसे हुए कब हुए
प्रश्न वहीं का वहीं रह जाएगा
हल नहीं कर पाओगे
मन में मलाल रहेगा ऐसा किस लिए ?
पहले निर्मल मन से सोचते थे
छल छिद्र से थे कोसों दूर पर अब
दुनियादारी के पंक में बाल बाल डूबे
यही तो वह चाबी है जिससे ताला खोल सकेंगे
उलझनों से उबर पाएंगे होते परिवर्तन को देख
आत्म विश्लेषण सही किया या नहीं किया
यही तो हल है क्या थे? क्या हो गए का
आशा
कभी सोचना आत्म विश्लेषण करना
सोचते सोचते आँखें कब बंद हो जाएंगी
कहाँ खो जाओगे जान न पाओगे
पहेलियों में उलझ कर रह जाओगे
इतने परिवर्तन कैसे हुए कब हुए
प्रश्न वहीं का वहीं रह जाएगा
हल नहीं कर पाओगे
मन में मलाल रहेगा ऐसा किस लिए ?
पहले निर्मल मन से सोचते थे
छल छिद्र से थे कोसों दूर पर अब
दुनियादारी के पंक में बाल बाल डूबे
यही तो वह चाबी है जिससे ताला खोल सकेंगे
उलझनों से उबर पाएंगे होते परिवर्तन को देख
आत्म विश्लेषण सही किया या नहीं किया
यही तो हल है क्या थे? क्या हो गए का
आशा
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