दिल से दिल की
थाली सजाई है बड़े चाव से
कोई रंग ऐसा नहीं
जो सहेजा न गया हो उसमें
सभी रंगों से प्रकृति
को
सजाना है मुझे |
तभी यत्न सफल होंगे
जब रंग भरी कूची
लिपटेगी और घूमेंगी
खाली केनवास पर
जो छवि उभर कर आएगी
मन पर छा जाएगी
मन मयूर मगन हो कर
नाचने लगेगा |
कण कण बोलेगा
अपने रंग में रंग कर
सृष्टि दिखेगी नवयौवना सी
अभिनव छवि बनेगी
जो अविराम दिल में
घर करती रहेगी
दृष्टि पटल लबरेज़ होगा
नवीन रंगों के प्रयोग से |
आशा
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