14 अक्तूबर, 2018

मन चाहता








+



काली कजरारी
 आँखें तेरी
 गहराई उनमें
झील सी 
 मनमोहक 
अदाएं उनकी
उनमें डूब जाने
 को दिल होता
अधर तेरे
 सुर्ख गुलाब से
  दंतपंक्तियाँ
 अनार सी

अधर चूमने  का
 मन होता
काली जुल्फों से
ढका मुख मंडल
प्यार दुलार से
 बड़े जतन से 
उन्हें सम्हालने को
 मन चाहता 
मीठी मधुर
 स्वर लहरी तेरी 
सुनते रहने को 
मन चाहता |
आशा



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: