18 मार्च, 2019

होली








 होली रंग रंगीली  आई
प्यार की सौगात लाई
कड़वाहट को भूल   कर
मन को डुबोती प्रेम रंग में |
इस रंगों के  त्योहार का
है यही सरल सा उपाय 
भाईचारे को निभाने का 
मन में भरा  कलुष मिटाने का |
लगाए जो भी  गुलाल
लाल सारा मुंह कर जाए
जब गुलाल  हटाया जाए
प्यार के निशान  छोड़ जाए |
यह रंगों का खेल नहीं
यह तो हैआपस की  वर  जोरी
बड़ा इन्तजार रहता है
इन लम्हों को जीने का |
खुशहाली का आलम ऐसा
भुलाया नहीं जा सकता
रंगों का तालमेल ऐसा
अपनाना सहज नहीं है |
रंगीनी जीवन में घुलती है ऐसे
 शक्कर मिली हो पानी में जैसे  
बहुत समय तक मिठास  बनी रहती है
होली पर घोटी गई भंग में |
फाग के गीत गाना किसे नहीं सुहाता
  फगुआ मांगना मन को बहुत भाता
चंग की थाप पर  थिरकना नाचना
अद्भुद समा होता इस त्योहार का |
                                               आशा

11 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना मंगलवार 19 मार्च 2019 के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    उत्तर
    1. सुप्रभात यशोदा जी
      धन्यवाद सूचना के लिये |

      हटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (19-03-2019) को "मन के मृदु उद्गार" (चर्चा अंक-3279) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. उत्तर
    1. सुप्रभात
      होली की शुभ कामानाएं
      टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

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  4. सुंदर रचना ...
    होली की बहुत बधाई हो ...

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      होली पर शुभ कामनाएं सपरिवार |
      टिप्पणी के लिए धन्यवाद सर |

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  5. वाह ! रचना में शब्द चित्र सा खींच दिया होली का ! बहुत सुन्दर !

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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