04 सितंबर, 2019

गणपति बप्पा





है स्वागत आगत गणनायक का
बहुत समय प्रतीक्षा करवाई
तब जाकर दिए दर्शन अबकी  
सोचा समझा दुःख दर्द प्रजा का
फिर की तैयारी जाने की
अभी अभी  तो आए थे
 स्थापना की थी मंदिर में 
इतनी जल्दी क्या है जाने की
सारे दुःख समेत चल दिए
मन में व्यथा लिए सब की
जल में समाधिस्थ हो रहे
मन की शान्ति जल में खोज रहे
अनंत चौदस को है बिदाई
सुख करता दुःख हरता की
बहुत खालीपन लगेगा
 आसन रिक्त  देख तुम्हारा
फिर से प्रारम्भ होगा वाट जोहना
अगले बरस बप्पा के आगमन का |
आशा

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)
    बहुत दिनों बाद आना हुआ ब्लॉग पर प्रणाम स्वीकार करें

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 5.9.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3449 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. गणपति बप्पा मोरया , अगले बरस तू जल्दी आ !

    जवाब देंहटाएं
  4. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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