भक्ति में है शक्ति अपार
है अनोखी वकत उसकी
यदि सच्चे मन से की जाती
कोई न कर पाता बराबरी उसकी
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भक्त की है प्रेरणा वही
जब पूरी श्रद्धा से की जाती
वह सरलता से भव सागर पार कर पाता
जो चाहत है मन में उस तक हाथ पहुँच पाता|
यदि भक्ति नहीं होती
भक्त की कद्र कहाँ होती
सही अर्थों में प्रभु को भजता कौन
सत्य के मार्ग पर चलता कौन |
आज के सन्दर्भ में सभी
अनजाने में गलत मार्ग चुन लेते
भगवान तक पहुँचना चाहते
गंतव्य तक यदि ना पहुंचते दोष भक्ति को देते |
आशा
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 23 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंसूचना के लिए आभार यशोदा जी |
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (24-01-2020) को " दर्पण मेरा" (चर्चा अंक - 3590) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
.....
अनीता लागुरी 'अनु '
सुप्रभात
हटाएंसूचना हेतु आभार अनिता जी |
वाह ! सच्चे मन से प्रभु का नाम लेंगे तो मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी !
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