26 फ़रवरी, 2020

आकांक्षा




था गर्ब मुझे अपने कृतित्व पर    
कभी सोचा न था असफलता हाथ लगेगी
आशाओं  को तार तार करेगी
हार से  दो चार हाथ होंगे |
मनोबल टूट कर  बिखर जाएगा
 सुनामी का कहर आएगा
नयनों का जल अविराम बहता जाएगा |
पर अचानक अश्रु थम गए
मन में कहीं दृढता जागी
मन को एकाग्र किया
अपनी गलतियों का मंथन किया |
तभी  सही मार्ग दिखाई दिया
 सफलता पाने का अवसर पाया
पीछे कदम न लौटेंगे अब
 दृढ संकल्प मन में किया |
दिन रात की महानत रंग लाई
आशा की किरण नजर आई
आगे  बढे कदम फिर लौट न पाए
 फल मीठा पास आने लगा  |
हुई  प्रसन्न  सफलता पाने से
आकांक्षा बढ़ी तीव्र गति से
और और की इच्छा जागी
सही मार्ग चुनने से |
 जूनून  सफलता का ऐसा चढ़ा  
 नया कुछ  करने का जोश जगा
छोड़ कर आलस्य हुई  सक्रीय फिर से
विश्वास भरे मन से |
 दृढ निश्चय लगन आशा अभिलाषा
 प्रवल आकांक्षा की सीडी चढ़ कर
सही मार्ग चुन कर हारी नहीं  
परचम फैलाया अपनी सफलता पर  |
आशा

12 टिप्‍पणियां:

  1. दृढ इच्छा शक्ति निश्चित सफलता की कुंजी है
    बहुत सुन्दर

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  2. धन्यवाद प्रिया जी टिप्पणी के लिए |

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  3. धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में शुक्रवार 28 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. वाह!!!
    बहुत सुन्दर ...प्रेरक रचना

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  6. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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    1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ! मन में जोश जगाती बहुत सुन्दर रचना !

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