25 जून, 2020

पलट कर जब देखा उसने

                               पलट कर जब उसने  देखा विगत में
यादों का पिटारा  खुलने लगा
पहुच गया उसका मन मस्तिष्क
बीते  दिनों की यादों में |
पहले कल्पनाओं  में खोई रहती थी
सुख निंदिया सोई रहती थी   
रही  वास्तविकता से दूर बहुत
जीवन कितना है कठिन कभी सोचा नहीं  था |
एक दिन चिलचिलाती धुप में
पैर पड़े जब कठोर  धरा  पर
वास्तविकता से हुआ सामना
झुलसा तन मन ऊष्मा की तीव्रता से |
पहले  वह सहन न कर पाई
उलटे पैर पलायन का हुआ मन
 सोचा जाने क्यूँ 
मुसीबत गले लगाई|
 फिर विचारों ने करवट बदली
और लोग भी तो जीते है
उसी घुटन भरे माहोल में
फिर वह क्यूँ पीछे हटने की सोचे |
तब दृढता से कदम उठाए आगे बढी
 बापसी का ख्याल न आया मन में
यही दृढ़ता आत्मसंयम तो जरूरी है
 किसी  कार्य को प्रारम्भ  करने में   |
आशा





4 टिप्‍पणियां:

  1. सही सोच ! मन में सदैव सकारात्मकता का वास होना चाहिए ! मुश्किलें जीवन में आती जाती रहती हैं ! इनसे मन को अस्थिर नहीं होने देना चाहिए ! सुन्दर रचना !

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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  2. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद शास्त्री जी टिप्पणी के लिए |

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