दूसरे दिन होटल की खिड़की से झांक कर देखे झील के दृश्य बहुत सुहाना मौसम था |इतने में बैन वाला हमें पिकअप करने आ गया |सारे दिन घूमें शाम को चार चिनार बोट में बैठ कर गए और छोटे से बागीचे में घूमें |फिर तीसरे दिन कश्मीर के बाहर केसर के खेत देखे |वहां सहकारी बाजार से केशर भी खरीदी |सच में बहुत आनंद आया जन्नत के दृश्य दर्ख कर |लग रहा था कि काश और अवकाश होता |या ये मनोभावन पल मन के कैनवास में उकेर लिए जाते |
आशा
दृध्य डल का होटल से
सुन्दर चित्रण कश्मीर की वादियों का और बहुत ही आकर्षक तस्वीरें !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए साधना |
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंआभार सहित धन्यवाद मेरी रचना की सूचना के लिए