चंद लकीरें
हतेलियों की कहें
जीवन का इतिहास
बता रहीं है
आनेवाले कल में
क्या तुम्हारे भाग्य में
थोड़ी सी
आहट भी
देती दस्तक
दिल के दरवाजे
खुले रहते
जब तक देखता
सत्य बताता
सारे जीवन का सार
समेट रहा
चुनिंदा रेखाओं में
यह करिश्मा
नहीं तो और क्या है
चंद लकीरें
खेल रहीं
भाग्य से
बड़े प्यार
से |
आशा
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (29 -5-21) को "वो सुबह कभी तो आएगी..."(4080) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
--
कामिनी सिन्हा
सुप्रभात
हटाएंआभार कामिनी जी मेरी रचना की सूचना के लिए |
हाथों की लकीरें शातिर भी होती हैं ! और मुट्ठी में बंद होने पर भी एकदम बेकाबू होती हैं 1
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
गहन कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
हटाएंचंद लकीरें
जवाब देंहटाएंखेल रहीं भाग्य से
बड़े प्यार से |
बहुत सुन्दर रचना 💕
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद
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