28 मई, 2021

चंद लकीरें हाथों की


  चंद लकीरें

हतेलियों की कहें

 जीवन का इतिहास

बता रहीं  है

आनेवाले कल में

क्या  तुम्हारे  भाग्य में  

 थोड़ी सी  आहट भी

देती दस्तक

दिल के दरवाजे

खुले रहते

जब तक  देखता 

सत्य बताता

 सारे जीवन का सार

समेट रहा

 चुनिंदा  रेखाओं में

 यह करिश्मा

नहीं तो और क्या है

 चंद लकीरें

  खेल रहीं भाग्य से

    बड़े प्यार से |

आशा

        

        

12 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (29 -5-21) को "वो सुबह कभी तो आएगी..."(4080) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. सुप्रभात
      आभार कामिनी जी मेरी रचना की सूचना के लिए |

      हटाएं
  2. हाथों की लकीरें शातिर भी होती हैं ! और मुट्ठी में बंद होने पर भी एकदम बेकाबू होती हैं 1

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात
    धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  5. चंद लकीरें

    खेल रहीं भाग्य से

    बड़े प्यार से |
    बहुत सुन्दर रचना 💕

    जवाब देंहटाएं
  6. आपका बहुत बहुत धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

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