ए हुस्न की मलिका
हो प्रेरणा तुम दूसरों के लिए
यह भी न जाना तुमने
कितनी हो बेसुध अपने लिए
याद तक नहीं तुम्हें कि
क्या नियामत और है तुम्हारे पास |
जैसी कुशाग्र बुद्धि पाई तुमने
वह सब के पास नहीं होती
हो गुणों की खान तुम
ज़रा भी अभिमान नहीं तुम को |
गर्व हुआ मुझे तुम पर
तुम्हारे गुणों की सूची देखी
ईश्वर को धन्यवाद दिया कि
तुम जैसों का सान्निध्य पाया |
देखो सोचो क्या कर सकती हो
आज के समाज के लिए
यदि कोई भी कार्य हाथ में लोगी
पूर्ण करोगी तन मन धन से |
गर्व है तुम्हारे जन्मदाताओं को
फूले नहीं समाते हैं प्रशंसा तुम्हारी करते
जब भी तुम्हारे साथ होते
तुम्हें देख खुद गोरवान्वित होते |
सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |