17 जुलाई, 2021

सहयोग से समाधान


 दीपक ने जोड़ा साहित्य   

डाल दिया   स्नेह उसमें 

बिन बाती स्नेह  रह न पाया

अस्तित्व अपना खोज न पाया दीपक में |

जब माचिस जलाई पास जाकर   

  बाती ने लौ पकड़ी  स्नेह पा  

 वायु बाधा बनी लौ कपकपा कर सहमी

पर अवरोध पैदा न कर पाई  |

आत्म विश्वास था इतना प्रवल लौ में  

कभी डिगने का नाम न लिया

ना हारी की लड़ाई बहुत शिद्दत से

दीपक की हिम्मत बढ़ाई स्नेह ने  |

एक प्रश्न फिर भी  उठा मन में 

क्या किसी साधन की कमी से

दीपक  जल पाएगा कभी  

 आवश्यक संसाधन बने हाथ उसके |

सब ने  बराबर से सहयोग किया

दीपक के हाथों को  मजबूत किया  

यही सौहाद्र बना सफलता का कारक

दीपक न डरा वायु के बेग से|

वायु की उपस्थिती में लौ का नृत्य  देख 

हुआ नाज स्वयं  पर और 

 अपने सह्योगिओं के सहयोग  पर |  

आशा

16 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  2. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद ज्योति जी टिप्पणी के लिए |

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  3. सुप्रभात
    आभार मेरी रचना कोआज चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए |

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  4. बहुर सुन्दर रचना ! बहुत बढ़िया !

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  5. धन्यवाद अनुराधा जी टिप्पणी के लिए |

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  6. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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