21 अगस्त, 2021

छलावा


                        
तेरा स्नेह है 

 ऎसी भूल भुलैया

राह न मिली जहां  

निकलने की 

एक ऐसा छलावा  

पूरा न डूबा

ना ही उभर पाया

जिस में से 

छलावे से दूर हो 

 जिससे बचूं

जो दीखता स्वप्न सा

है कुछ और

मुझको इस तरह

रिझा लिया है

दूर  निकलने को

बाध्य कर दिया

पर कोशिश

सफल न  रही  है

मन दुखी है  

 हार नहीं स्वीकारी 

तब भी यत्न  

अनवरत

मैंने जारी रखा है

रुझान मेरी

सही गलत की ओर

झुकाव मेरा

उस छलना पर  

पूर्ण रहा है 

 कोई भ्रम नहीं है

यही भवरजाल   |

आशा

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