22 अक्तूबर, 2021

मौसम चुनाव का


                                        मचा हुआ कोहराम सड़क पर

पीछे बड़ा जन समूह है

मौसम वोट माँगने का आया है  

आगे आगे नेता है पीछे हुजूम है |

कितने वादे  किये कितने रहे  शेष

सब का लेखा जोखा  देना है

फिर से नये वादे करना हैं

वोट की राजनीति से अनिभिग्य नहीं है |

रुख किस ओर करवट लेगा

किस पार्टी का परचम फहराएगा

अभी तक  स्पष्ट नहीं है

फिर भी प्रयत्नों में कोई कमीं नहीं है |

एक दिन ही शेष है  इन प्रपंचों के लिए

फिर घर घर जा कर नेता जी करेंगे प्रणाम

जाने कितने प्रलोभन देंगे एक वोट के लिए

पर चुनाव समाप्त होते ही भूल जाएंगे वादे |

गली मोहल्ला भी याद न रहेगा

 अगले चुनाव के आने तक 

 व्यस्त हो जाएंगे अपना घर भरने में

 चारों हाथ पैरों से जनता को लूटने में |

आशा

 

7 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  2. आज की राजनीति का कटु यथार्थ !

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (23 -10-2021 ) को करवाचौथ सुहाग का, होता पावन पर्व (चर्चा अंक4226) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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