06 अक्तूबर, 2021

रौद्र उत्तंग तरंगें जलधि की



            जलधि  के किनारे  खड़ा  मैं सोच रहा

ईश्वर ने खारे जल को किस लिए बनाया

जब प्यासे को जल न मिला क्या लाभ इसका

धूप से तपा बटोही खोजता रहा पीने का जल

यह तो है इतना खारा मुंह में डालना मुश्किल

  किसी को पीने का जल नहीं दे पाता

इस में इतना खारापन  किस लिए डाला  |

 कभी सुनामी का कहर आता तहसनहस कर जाता 

बहुत  समय तक सम्हलने न देता  

उत्तंग लहरों का बबाल हुआ  आए दिन की बात

कितनी कठिनाई से बसे बसाए घर

पल दो पल में नष्ट हो जाते बच नहीं पाते |

यह असंतोष कोई कब तक सहेगा

क्या कोई हल निकलेगा इस आपदा से बचने का

या यूँ ही उलझा रहेगा प्रकृति की दुष्ट द्रष्टि में  

कभी बच न पाएगा इन प्राकृतिक आपदाओं से |

आशा 




3 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    आभार सहित धन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |

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  2. संसार का बड़ा हिस्सा इस खारे जल से ही भरा हुआ है ! लेकिन मीठा पानी भी तो इसीसे मिलता है ! बादलों के एक्वागार्ड से फ़िल्टर होकर यही जल मीठा होकर बरसता है ! है या नहीं ?

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