तुम बोलो या नहीं 
या मुंह में ताला लगा लो    
पर आँखे तुम्हारी बोलतीं हैं 
होती है गवाह तुम्हारे अंतस की  |
नैन सदा सजग रहते हैं 
अवसर मिलते ही दिखा देते हैं सब
कितनी बातें भी छिपालो मन में   
उन में अक्स उतरता सब का |
 दिखई देता स्पष्ट
चाहे न बताओ उन्हें
पर सब स्पष्ट हो जातीं उनमें |
आँखें देखते ही जान जाती हैं
तुम्हारे मन की बातें
लाख कोशिश करो
कोई बात छिप नहीं सकती |
तुम्हारी आँखों में है अद्भुद क्षमता
सजल हो कही अनकही
सब कह जाती हैं वें हैं दर्पण सी
 सब अक्स स्पष्ट उभरते हैं वहां |
जब अश्रु जल प्रवाहित होता नैनों से
दीखता कलकल करती नदिया सा
व्यवधानों की चिंता न करता
अनचाही स्मृतियां बहा ले जाता
 अपनी लहरों के संग |
आशा 
 
 
आँखें सचमुच अभिव्यक्ति का अनोखा माध्यम होती हैं ! मौन रह कर भी बहुत कुछ कह जाती हैं ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |