10 मई, 2022

कुछ तुम बदलो कुछ मैं

 

 




कुछ तुम बदलो कुछ मैं  

तब सामंजस्य बना रहेगा हम दौनो के  बीच

व्यर्थ का तर्क कुतर्क

अशान्त नहीं करेगा अपने जीवन को |

स्पष्ट संभाषण है जरूरी

जीवन की गाड़ी चलाने में

किसी के कहने से

 कुछ नहीं बदलेगा

चाहे पूंछ लो जमाने से |

अपने गिरह्वान में झांको

अपनी कमियां स्वीकारो

उनका एहसास करो  

कुछ मुझे भी समय दो सोचने का |

यदि यही बात समझ पाओगे

जीवन जीने की कला आ जाएगी

महक जिन्दगी में होगी

बेनूर जिन्दगानी  ना होगी |

किसी की सलाह पर 

कब तक चलोगे 

जहां से चलना था वहीं ठहर जाओगे 

जिन्दगी में आगे न बढ़ पाओगे |  

आशा  

 

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