26 अगस्त, 2022

क्या लिखूं क्या नहीं

 बारम्बार  लिखना लिखाना 

फिर खोजना क्या नवीन लिखा 

पर निराशा में डूब जाना 

कुछ  नया न लगा नए लेखन में |

बहुत बार पढ़ा पर मन असंतुष्ट रहा 

कागज़ ढूंडा  कलम ढूँढी पर मिल न पाई 

 यूंही घूमता रहा अपने कमरे में

 किसी से सलाह लेनी चाही पर

  सही सलाह न मिली  अपनों से 

सोचा जब तक सही  राह न खोजूंगा 

उलझा रहूँगा इसी कार्य में |

 मन ने कहा दूरी न बढाऊँ 

हार  में जीत का मार्ग खोजूं 

असफलता से न घबराऊँ |

जब  असफलता हाथ चूमेंगी 

पर मैं साहस का हाथ  पकडे रहूँगा 

पीछे मुड़ कर न देखूंगा 

तभी सफलता पा सकूंगा 

अपना मनोबल बनाए रखूँगा |

तब जो भी नया सृजन करूंगा 

एहसास होगा कुछ नया लिखने का 

नव लेखन की विधाओं की महक होगी 

नए लिखे पंक्तियों में |

 धैर्य भी  है  आवश्यक प्रतिफल को पाने के लिए 

जिसने इससे मिल कार्य किया  

सफलता का मुंह  देख पाया 

 नवीन सृजन का आनन्द उठा पाया |


आशा सक्सेना 


8 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक संदेश देती सुंदर रचना। क्या नया लिखें की दुविधा रोज रहती है। मुझे लगता है कि बहुतों को रहती होगी। आपने अच्छा रास्ता दिखाया है। सादर।

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  2. वाह ! सार्थक सन्देश देती प्रेरक रचना !

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