25 अगस्त, 2022

क्षणिक जीवन में झमेले हजार

 छोटे से जीवन में हैं झमेले हजार 

उनमें ही उलझे रहते   बच नहीं पाते

 समय की बर्बादी के सिवाय कुछ हाथ नहीं आता 

अपने आप को असहाय पा कर  |

कोशिशें बार  बार  करते 

पर निकलने की सभी कोशिशों में

 उलझ कर रह जाते सफल न हो पाते |

 सुनने मेंअच्छा लगता है 

असफलता ही राह होती है सफलता तक  पहुँचाने  के लिए की 

 उसके कदम चूमते ही जो बेचैनी होती है 

मन को समूचा  हिला कर रख देती है

कभी भी असफलता मन को  नहीं भाती  |

 असफलता से अपनी  खुद की कमजोरी छिपाने से  

क्या लाभ और क्या हानि 

सब से नजरें छिपाने से

 खुद के सिवाय किसी को |

झमेलों  के  गर्त में गिरते गए 

वहीं उलझ कर रह गए 

क्षणिक जीवन में हैं झमेले हजार 

अब हमने समझ लिया  

कोई  इनसे बच कर नहीं निकलता  

इनके बिना जीवन अधूरा रहता 

आशा सक्सेना  

 


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