किसी के प्यार में दीवाने हुए है
शायद किसी ने दी सलाह जज्बाती होने की
सोचा नहीं था क्या हश्र होगा इसका
जल्दबाजी में जो कदम उठाया
उसी से मात खाई बिना सोचे बहक गए हम दोनों
अब पछताकर होगा क्या ?
किसी से कहने सुनने में भी भय लगता है
यह कदम है गलत क्यों ?
कारण जानने की उत्सुकता ने
हालत और खराब की
बिना बात हँसी के पात्र बन बैठे
दीवाने हुए किसी के प्यार में |
जब तक अपनी गलती समझ आई
बहुत देर हो चुकी थी अब क्या करते
एक ही शिक्षा ली है मेने इस से
अन्धानुकरण कभी न करना चाहिए
चाहे हो जाए कुछ भी
अपनी सोच का दरवाजा भी खुला रखना चाहिए |
आशा लता सक्सेना
दीवानगी (वह भी प्यार की!) तो आख़िर दीवानगी ही है। वहाँ सोचने विचारने का अवकाश कहाँ! बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (२५-०८ -२०२२ ) को 'भूख'(चर्चा अंक -४५३२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
प्यार में दीवाने हुए.. अन्धानुकरण पर अच्छी सीख।
जवाब देंहटाएंवाह ! क्या बात है ! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
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