एक पत्र लिखा था कभी
जब लिखने का अभ्यास न
था
पत्र लिख पाया था कभी
परीक्षा में बस पांच अंकों के लिए |
उसमें प्रारंभ किया था
आदरणीय सर
मुझे बुखार आया है
मैं कक्षा में हाजिर न हो
सकूंगी
अंत में अपना नाम लिखा था
कक्षा लिखी थी फिर स्कूल का
नाम |
सोचा सभी को ऐसा ही पत्र
लिखा जाता होगा
जब मुझे अवसर मिला पत्र लिखा
बड़े प्यार से प्रारम्भ किया
उसी प्रकार
मध्य में लिखा हम अच्छे हैं
आप भी ठीक होंगे |
हमें आपकी याद आती है |
सब को नमस्ते कहना |हम
दर्शन करने गए बताना
अब कब आओगे |हम दूसरे मंदिर
चलेंगे
फिर समाप्त किया ऐसे सोचा कितना सुन्दर पत्र लिखा
आपकी विद्द्यार्थी
कु आशा लता सक्सेना
कक्षा १२-बी
सागर ग्राम म.प्र.
अरे पत्र पर पता तो लिखा ही नहीं
पत्र यहीं रह गया मेरी किताब में |
आशा सक्सेना
आशा सक्सेना
वाह ! मजेदार पत्र ! मनोरंजक हास्य कविता !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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