एक शिकारी था वह रोजजंगल में शिकार करने जाता |आज उसे कोई शिकार नहीं मिला वह बहुत उदास हो गया
बहुत थक गया था इस लिए आराम के लिए एक पेड़ पर चढ़ गया |पर उदासी ने इतना घेरा कि उसके आंसूं बहने लगे और वे नीचे बनी महादेव जी के ऊपर टपकने लगे |अचानक उसने पत्ती तोड़ होगी शुरू की और नीचे पिंड पर गिरने लगीं |
महादेव जी तो भोले भंडारी हैं |उनको लगा कि वह हरे बेल पत्र चढा रहा है और जलचढा रहा है|शिव जी बहुत जल्दी से प्रगट हुए और बिना किसी से मांगे उसको वर दिया कि जो चाहेगा उसकी मनोकामना पूरी होगी |
शिकारी खुशी ख़ुशी अपने घर चल दिया और रोज सुबहभगवान् शिव जी का पूजन करने लगा |और बेलपत्र चढाने लगा |उसका जीवन बहुत शान्ति से बीत गया | इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि प्रति दिन ईश्वर की पूजन करना चाहिए |
आशा सक्सेना
सुन्दर कथा !
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