18 मार्च, 2023

मैं अकेली कैसे





जब भी तुम्हारी बातें चलती

मन में उदासी छाती  

बहुत रिक्तता जीवन में भरती

मुझे लगता मैंने तुम्हें खो दिया है |

यह है दुनिया की रीत 

यही समझाया है सबने सब साथ हैं

मैं अकेली कैसे जब तुम्हारा प्यार साथ है

 मुझे भय कैसा आखें भर भर आती हैं |

मुझे सहारा मिलता है तुम्हारी यादों का

ज़रा सा ध्यान बिचलित होते ही

खो जाती हूँ बीती  यादों मैं  |

आशा सक्सेना                 

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1 टिप्पणी:

  1. यादों का सहारा सबसे मजबूत संबल होता है ! मन को मधुर स्मृतियाँ सदैव प्रफुल्ल रखती हैं !

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