05 मार्च, 2023

थी कितनी प्रसन्न

हुई उदास सडकों की हालत देख 

               जब बीते दिनों की याद आई               

वे दिन भी कितने प्यारे थे 

कभी भुलाए नहीं भूलते |

अब हुआ उसे एहसास

मन करता है फिर से

 बच्चा बन जाए मन मानी करे 

किसी का कहा अनसुना करे   |

किसी की सीख से ज्ञान ले 

फिर भी सही गलत का भेद ना समझे 

खुश थी दलदल में खिला पुष्प देख 

 कमल  का फूल तोड़ कर  ||

फूल था दूर पंक से पंक में रह कर 

सुन्दर सी चमक लिए 

दिखता कितना प्यारा  

जब सजाता झंडे पर |


आशा सक्सेना 

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