हुई उदास सडकों की हालत देख
जब बीते दिनों की याद आई
वे दिन भी कितने प्यारे थे
कभी भुलाए नहीं भूलते |
अब हुआ उसे एहसास
मन करता है फिर से
बच्चा बन जाए मन मानी करे
किसी का कहा अनसुना करे |
किसी की सीख से ज्ञान ले
फिर भी सही गलत का भेद ना समझे
खुश थी दलदल में खिला पुष्प देख
कमल का फूल तोड़ कर ||
फूल था दूर पंक से पंक में रह कर
सुन्दर सी चमक लिए
दिखता कितना प्यारा
जब सजाता झंडे पर |
आशा सक्सेना
पुराने दिनों की महक सदैव मन में बसी रहती है !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए
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