जब बरसा पानी धरा पर कीचड़ हुआ
मट्टी उलट पलट हुई
कहीं अति का जल भरा
कहीं सूखा पडा |
उस पर मौसम का प्रभाव पडा
जहां बीज बोए गए थे
वे प्रस्फुटित ना हुए \|
जहां खेत खाली पड़े थे
कुछ बोने का मन ना हुआ
कोई निश्चितता नहीं थी
वर्षा के आगमन की |
यहू सब सोच किसान हुआ उदास
यहाँ वहां भटक रहा था क्या करे
किसकी सलाह से
नुकसान नहीं होगा |
फसल के पकने पर |
मन को दिलासा दे रहा था
अपनी फसल को
भगवान् भरोसे छोड़ |
यदि भाग्य ने साथ दिया
फसल अच्छी ही होगी
यही सोच संतुष्ट हुआ
उसने भरोसा किया भाग्य पर |
प्रभू की दया पर
और आत्मविश्वास पर
प्रभु ने एक दृष्टि की उस पर
यही एक सहारा था उसका |
आशा सक्सेना
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भाग्य और पुरुषार्थ दोनों की ज़रूरत है, जैसे दो पैर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनिता जी टिप्पणी के लिए |
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