किसी एक बन्दूक में
कुछ ही गोली होती है
जिनके उपयोग से
जन जीवन अस्तव्यस्त हो जाता है|
अमन चैन सब छीन जाता है
ज़रा से सुख की चाह में
मानव का विनाश होता है
यही बात मन को क्लेश पहुंचाती है |
अमन चैन की बातें केवल
भाषणों में होती हैं
वास्तविकता का रूप अलग है
जो होता है वह दिखाई नहीं देता |
जिसकी कल्पना ना होती वही
बड़ा भयावय रूप लेता
मानव जाति की शांति हर लेता
वह बड़ा जानमाल का नुक्सान देखता |
मन वित्रिश्ना से भर जाता
पर कदम पीछे नहीं हटाता
इसी ह्टधर्मिता से
मानव जाति का विनाश होता |
कहीं तो बात होती है वासुदेव कुटुम्बकम की
पर दो लोग भी मिल कर रह नहीं पाते
छोटी छोटी बातों पर
लड़ने मरने को तैयार रहते
जाने कब शान्ति आएगी
भव सागर में |\|
आशा सक्सेना
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: