कब तक मुझे सिखाओगे
मेरा मन नहीं मिलता
किसी से यह कैसे समझाओगे
ऐसा स्वभाव मेरा,
मुझे कुछ करने नहीं देता |
यदि कोई मुझे कुछ कहे
,मुझे सहन नहीं होता
यही समस्या है मेरी
मैं कुछ कर नहीं पाता
खुद निर्णय भी ले नहीं पाता |
अब मैंने छोड़ा है खुद को
करतार तुम्हारे हवाले
तुम हो मेरे पालन हार
मुझे सब से प्यारे
मैं दीन दुखी याचक तुम्हारा
दया भाव रखोगे मु झ पर
यही चाह है मेरी आज तक
मैं तुम्हारे चरणों में रहूँ
तुम्हारी तन मन से सेवा करू
तभी मेरा होगा कल्याण
मुझे किसी पर नहीं विश्वास
यही हाल है मेरा मैं किसे बताऊँ |
आशा सक्सेना
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