13 सितंबर, 2023

व्यथा

                                          

                                        व्यथा तो व्यथा है 

                                                 व्यथा  किसी की जागीर नहीं

जिसे हर समय वह

चिपकाए रखे अपने सीने से |

अब तो समय बीत गया है

आम आदमी अब आम रहा 

कोई खास  नहीं हो पाया

कुछ बदलाव उसमें ना हुआ |

बचपन मैं टोका जाता था

किसी की बात मानना

कोई गलत बात नहीं

सभी की प्रशंसा पाना है |

सब की रोका टोकी

मुझे रास ना आई

घंटों रोई बिना बात

जरा ज़रा सी बात पर

पहले तो प्यार से समझाया गया

पर बात बिगड़ते देर ना लगी |

मैंने जिद्द ठानी बाहर पढ़ने की

किताबों को सच्चा साथी समझा

मन पर नियंत्रन बनाए  रखा

आगे  बढ़ने की कसम खाई |

अपना मनोबल बढाया

अपने मन की सुनी

 यही मेरे काम आई

अब प्रसन्नता आई जीवन में |

आशा सक्सेना

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