18 सितंबर, 2023

शब्दों का मान

 

खोजा मन के अंदर बाहर 

सिर्फ वही नहीं

दो शब्द रंगे गए

दूसरे शब्दों में वे  हिरा गए कहीं

मेरे भाव भी गुम हैं

किसी अंधेरी कोठरी में |

मेरी  खुशी कहीं गुम हो गई

जब ठुकराई गई सारे समाज से  

किसी ने ना अपनाया  समाज में

दुःख बहुत हुआ

खुद के नकारे जाने पर |

  यह हाल है आज

शब्दों की दुनिया का

सम्हाल नहीं पाए खुद को

नाही अन्यों को|

जो सकारथ हुआ |

 है निराली शब्दों  की दुनिया

जिसने भी चाहा उनको

संपन्न किया भाषा को

उसके लालित्य को |

उनका उपयोग किया दिल से

पलट कर ना देखा क्या लिखा

उसका अर्थ क्या निकला

किसने सही रूप दिया उसको |

आशा सक्सेना    

  

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