कल आए गजानन गणनायक
साथ ले आगत को अपने
साथ ले आगत को अपने
ड़ाला आसन आगत ने प्रभु के समक्ष
माँगा वर सर पर रखव़ा कर हाथ |
घर के लोगों ने आगत का स्वागत किया
पूरे स्नेह से फिर किया पूजन अर्चन
दिल खोल के
तुम्हारा भी पूजन करवाया साथ में अपने
रह कर
सभी ने तारीफ की आपकी और उसके स्नेह की|
ड़ाला आसन आगत ने प्रभु के समक्ष
माँगा वर सर पर रखव़ा कर हाथ |
घर के लोगों ने आगत का स्वागत किया
पूरे स्नेह से फिर किया पूजन अर्चन
दिल खोल के
तुम्हारा भी पूजन करवाया साथ में अपने रख कर
साथ ले आगत को अपने
ड़ाला आसन आगत ने प्रभु के समक्ष
माँगा वर सर पर रखव़ा कर हाथ |
घर के लोगों ने आगत का स्वागत किया
पूरे स्नेह से फिर किया पूजन अर्चन
दिल खोल के
तुम्हारा भी पूजन करवाया साथ में अपने
रह कर
सभी ने तारीफ की आपकी और उसके स्नेह की|
सभी ने की सराहना आपकी और उसके स्नेह की|
बहुत सुन्दर रचना ! गणपति बप्पा मोरया ! कविता में कई बार रिपीटीशन हो गया है ! इसे एडिट कर ठीक कर लें !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर---- गजानन महाराज की
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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