राग द्वेष माया मोह
जब हों दूर जीवन से
सफल जीवन की आशा की
जाए
यदि एक का संतुलन बिगड़े
दूसरा भी बहे उसी
के साथ |
आशा निराशा के झूले में
जीवन झूले बहुत डर के
आत्म बिश्वास कम तर हो जाए
यदि किसी की वर्जना मिले |
हम प्यार को तरसे जीवन में
जब किसी का संबल ना मिले
घोर निराशा से घिरे
बच ना पाए इससे |
यही कमीं रही खुद में
बच ना पाए इन
कुटेवों से
सफल ना हुए जीवन में
खुशहाली पा ना सके |
जिसने भी मन्त्र दिए खुशी पाने के लिए
कोई भी सफल ना हो पाए
पीछे हट कर मांफी
मांगी
हम जिए अपने हाल पर |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: