मन कभी स्थिर नहीं रहता
किसी से दुःख बांटना नहीं चाहता
यदि कोई ऐसा मिल जाए तो क्या बात है
मन को तो सहारा चाहिए |
किसी बात से जब मन दुखी हो जाता है
वह एकांत चाहता है यदि वह नहीं मिले
तब मन ऐसा अभिन्न मित्र चाहता है जो
उसे समझ सके अपनी बात समझा सके |
अपनी बात स्पष्ट ऐसे कर सके
उसे समझा सके जिससे
वह पूरी तरह उसके
मन में उतर पाए|
उसका असंतोष कहीं खो जाए
उसके आनन पर प्रसन्नता आए
उसकी ख़ुशी की झलक
चहरे पर आए
आशा सक्सेना
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