03 दिसंबर, 2023

जंगल का नजारा

 

सूखे पीले पत्ते बिछे सारी  राह में

हवा के साथ में  बह चले

धूल धक्कड़ होती  चारो ओर

वहां खड़े रहना होता मुश्किल |

 पतझड़ का मौसम बड़ा अजीब  लगता

सूखी डालियाँ नजर आतीं

 वन वीरान होते जाते

 कुछ पेड़ों में हरी पत्तियाँ झाँकतीं डालियों के कक्ष से  |

कुछ समय के बाद पेड़ में हरियाली के दर्शन हुए

लहलहाई पत्तियों से लदी डालियाँ

अनोखा आकर्षण आया लहराती डालियों में

गीत गाते रंग बिरंगे  पक्षी यहाँ यहाँ वहां डोलते |

जब कानों में गूंजती वह  मधुर ध्वनि

पैर स्वतः ही बढ़ने लगते जंगल  की ओर

उसमें ही रमना चाहते वहां हरियाली में

घूमना चाहते ताजी हवा में |

भुवन भास्कर के आते ही पत्तियों पर

पैर पसार् लेतीं रश्मियाँ

पूरा बाग़ चमक उठता उनकी आभा से

मन होता कुछ देर ठहर जाऊं वहां |

आशा सक्सेना 

1 टिप्पणी:

  1. धन्यवाद यशोदा जी मेरी रचना को पांच लिंकों के आनंद में स्थान देने के लिए |

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