इस हरी भरी बगिया
में
कितनी मदमस्त बयार
है
माली अपनी मेंहनत पर
झूम झूम जाता है |
कितनी मेहनत कर रहे
हो
मन उत्फुल्ल हो जाता है
बहुत मेंहनत लगती है
जरा ज़रा से कार्य में |
जब कोई तारीफ
करता हैं
मन बाग़ बाग़ होता है
माली फूला नहीं समाता
अधिक उत्साह से जी जान से जुट जाता है |
आशा सक्सेना
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