इन सारी हरकतों का
बेमतलब की तांका झाकी का
कोई अर्थ नहीं
ये सब को रास न आती
मन को जब रास न आए
जिन्दगी ही रूठ जाए |
सही राह मिलते ही
जीवन सही पटरी पर
नहीं चाहता
जाने के लिए अपना मन बनाए
इघर उधर झांकते
सारा जीवन बीत गया है
यूँही इधर उधर झांकते
कोई हल नहीं निकला
सितारा देखा जब भी
तुम से किसी की
तुलना नहीं हो पाई |
तुम चाँद और तारे
आसपास तुम्हारे
तुम सा कोई नहीं
आकाश गंगा में
जैसे भी हो सब से अलग
हो
हो सारे आसमान में |
बड़ी सफलता पाई इसरो ने
तुम पर भारत का
तिरंगा झंडा फैला कर
प्रधान मंत्री मोदी ने भी की दिल से प्रशंसा
यहाँ की प्रगति देख कर |
आशा सक्सेना
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
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