15 अप्रैल, 2020

सड़कें है सूनी सूनी





सड़कें हैं सूनी सूनी
 काल चक्र थम सा गया है
किसी ने कहा
सारा देश  सो रहा है
पर यह  सच्चाई  नहीं है 
बाहरी कार्य हुए स्थगित तो क्या
अब तो समय मिला है
 बहुत कुछ सोचने का
पहले तो कहते थे 
समय कम  पड़ जाता है
आवश्यक कार्य ही  
 मुश्किल से हो पाते हैं
यदि कोई अतिरिक्त काम 
सामने आ जाए
 भार सा लगने लगता था 
पर अब अवकाश मिला  है
 कुछ नया सोचने का  
 नवीन सृजन करने का  
यूँ सोचो तो  व्यर्थ लगेगा
 धर में पड़े रहना  
पर सोचा जाए तो यह 
कितना बड़ा कार्य  हैं
कोरोना महामारी से 
दो चार हाथ करके
घर में रह कर
 वृद्धों की देख रेख करना
सामाजिक अंतर रख कर 
मुंह को मास्क से ढक कर
 बारम्बार हस्त  धो कर
 महामारी से बचे रहना
यही है सच्ची भक्ति
 अपने देश वासियों के  प्रति 
कर्तव्य निष्ठा सरकार के प्रति|
                                             आशा

14 अप्रैल, 2020

मरुस्थल में कांटे नागफणी के




                    मरुस्थल में फूल  नागफणी के  लगते आकर्षण दूर से
छूने  का मन होता बहुत नजदीक से
पर पास आते ही कांटे चुभ जाते
जानलेवा कष्ट पहुंचाते |
लगते  उस शोड़सी  के समान
जिसका मुह चूम  स्पर्श सुख लेना चाहता  
पर हाथ बढाते ही सुई सी चुभती
कटु भाषण  की बरसात से |
है किसी की हिम्मत कहाँ
जो छाया को भी छू सके उसकी
बड़े पहरे लगे हैं आसपास
 मरुस्थल में नागफणी के काँटों  के  |
जैसे ही हाथ बढते हैं उसकी ओर
नागफनी के  कंटक चुभते हैं
चुभन से दर्द उठाता है
बिना छुए ही जान निकलने लगती है |
 वह है  नागफणी की सहोदरा सी
जिसकी रक्षा के लिए कंटक
दिन रात जुटे रहते हैं
भाई के रूप में या रक्षकों के साथ
कभी भूल कर भी अकेली नहीं छोड़ते |
 नागफणी और उसमें है गजब की समानता
वह शब्दों के बाण चलाती है डरती नहीं है
मरुस्थल के काँटों जैसे रक्षकों की मदद ले
दुश्मनों से टक्कर ले खुद को बचाती है

आशा