सड़कें हैं सूनी सूनी
काल चक्र थम सा गया है
किसी ने कहा
सारा देश सो रहा
है
पर यह सच्चाई नहीं है
बाहरी कार्य हुए स्थगित तो क्या
अब तो समय मिला है
बहुत कुछ सोचने का
पहले तो कहते थे
समय कम पड़ जाता
है
आवश्यक कार्य ही
मुश्किल से
हो पाते हैं
यदि कोई अतिरिक्त काम
सामने आ जाए
भार सा लगने लगता था
पर अब
अवकाश मिला है
कुछ नया सोचने का
नवीन सृजन करने का
यूँ सोचो तो व्यर्थ लगेगा
धर
में पड़े रहना
पर सोचा जाए तो यह
कितना बड़ा कार्य हैं
कोरोना महामारी से
दो चार हाथ करके
घर में रह कर
वृद्धों की देख रेख करना
सामाजिक अंतर रख कर
मुंह को मास्क से ढक कर
बारम्बार हस्त धो कर
महामारी से बचे रहना
यही है सच्ची भक्ति
अपने देश वासियों के प्रति
कर्तव्य निष्ठा सरकार के प्रति|
आशा
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरूवार 16 अप्रैल 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सूचना के लिए धन्यवाद सर |
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 16.4.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3673 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सुप्रभात
हटाएंसूचना हेतु आभार दिलबाग जी |
बहुत सुंदर और सार्थक रचना आदरणीया
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनुराधा जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद ओंकार जी |
बढ़िया है ! यही वक्त है जिस समय अपने शौक, अपनी भूली बिसरी कलाओं को पुनर्जीवित किया जा सकता है ! नया सीखिए, रचिए, पढ़िए, गाइए, गुनगुनाइए और खुद को निखारिये ! समय मिला है तो उसका सदुपयोग करिए !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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