02 मई, 2018

इंतज़ार


आस लगाए कब से बैठा
मखमली घास पर आसन जमाया
खलने लगा अकेलापन
मन को रास नहीं आया
पास न होने का
क्या कारण रहा
यह तक मुझे नहीं बताया
मैं ही कल्पना में डूबा रहा
छोटी मोटी बातों ने
एहसास तुम्हारा जगाया
जैसे तैसे मन को समझाया
फिर भी तुम पर गुस्सा आया
क्या फ़ायदा झूठे वादों का 
तुम्हारे इंतज़ार का  
तुम्हारी यही वादा खिलाफी
मुझ को रास नहीं आती
मन को चोटिल कर जाती
आशा

01 मई, 2018

विरासत










आज हमें जो विरासत में मिला है
उसे ही यदि सम्हाल कर रखा तब
जग जीत लेंगे किसी बाधा से नहीं डरेंगे
है यदि दृढ निश्चर तब भय किस बात का
आगे बढाए पैर पीछें न हटाएंगे
ना दौलत की है चाह न नाम का जुनून
है जज्बा मन में देश हित के लिए जियेगे
हो यदि दृढ निश्चय अटल हार न देखेंगे
अपनी विरासत को सम्हाल कर रखेंगे |
आशा

29 अप्रैल, 2018

क्षणिकाएं --------





आँखों में पानी के लिए इमेज परिणाम

कोई बात नहीं मन में खलिश है
जुबां खामोश भीगी सी नजर है
नयनों में  आंसुओं का  सैलाब
शायद यह उन्माद का असर है|

मनोबेग कह रहा रुक रुक
मन बोलता ना रुक ना  रुक
जिसका है वर्चस्व उसी का
ख्याल आया है बार बार |

कभी ख़ुशी ने झलक दिखाई
पर दुःख भारी पडा उस पर   
वह झूलता दुःख सुख के झूले में
विचलित मन है उलझन में |

चलो कुछ देर के लिए दुःख दर्द अपना भूल जाते हैं
कुछ तुम कहो कुछ हम सुने  दुःख सुख आपस में बाँट लेते हैं
मुझे खुशी होती है अपनी बातें तुमसे सांझा करने में
तुम सच्चे मित्र हो मेरे सही राय देते हो दिखावे से हो दूर
तुमसे मन जुड़ाहै मेरा मुझसे अधिक विश्वास है तुम पर |









-.आशा