चल सजनी आ
चलें वहाँ
आकाश धरा
मिलते जहां
वहाँ छोटा सा
घर बनाएँ
हरियाली भरपूर
लगाएं
जब भी पंछी
वहाँ आएं
दाना चुगें
प्यास बुझाएं
कितना सुखद
एहसास होगा
तृप्ति का
आभास होगा |
संचित सुखद पल
जीने को
मन हो रहा
बेकल
वह वहीं शांत
हो पाएगा
जब तुम्हारा
साथ होगा |
परम शान्ति
का अनुभव होगा
कोइ व्यवधान
नहीं होगा
प्रभु आराधन
में लीन
मधुर ध्वनि
मुरलिया की
जब भी सुन
पाएंगे
श्रद्धा सुमन
बरसाएंगे
परम प्रेम का
आगाज़ होगा
जीवन तभी
सार्थक होगा
दूर क्षितिज
तक कभी
शायद ही कोई
पहुंचा होगा
पर हमें न कोइ
रोक सकेगा
वहीं हमारा घर
होगा |
आशा